रहस्य की रात भाग -10




झरझरा मुस्कराते हुए चारों से बोली, "मित्रों! अघोरनाथ किसी भी तरह इस पूजा को संपन्न होने से रोकना चाहता है। यह पूजा होते ही उस नीच का सर्वनाश जो निश्चित है। मैं अपने पिता चौलाई विकट नाथ की शपथ खाकर और माता कापालिका को साक्षी मानकर कहती हूँ कि कलावा टूटने में ही तुम्हारा कल्याण है। तुम चारों एक बार मेरी आँखों में झाँककर देखो तो तुम्हें सत्य असत्य का स्वयं ही पता चल जाएगा। 
चारों ने ध्यान से झरझरा की आँखों में देखा तो अपनी सुध-बुध खो बैठे और यंत्रचालित से उन्होंने अपने कलावे तोड़ कर अग्नि को समर्पित कर दिए। झरझरा ने परम शान्ति की श्वास ली और आँखें मूँद कर एक सुन्दर भजन गाने लगी। 
इधर कलावा टूटने पर भी कोई अनर्थ न होता देख इन चारों को भी ढाढ़स मिला। ये उत्साह से भरकर अघोर के विनाश हेतु किये जा रहे यज्ञ के लिए तत्पर हो गए। झरझरा ने उन्हें जल छिड़क कर शुद्ध किया और चन्दन कुमकुम छिड़क कर पूजन हेतु तैयार कर दिया। फिर गंभीर वाणी में मंत्रोच्चार करते हुए यज्ञ वेदी में समिधा डालनी आरम्भ की। यहां यह सब उद्योग चल रहा था कि बाहर पशु मानव जोर-जोर से चिल्लाने और तड़पने लगा। वह जोर-जोर से खंभों को टक्कर मारने लगा जिससे भीषण ध्वनि उत्पन्न होने लगी। पर झरझरा इस व्यवधान से अविचलित ही रही और उन्हें भी इशारे से अपना काम करने को कहा।
अचानक वासू की नजर फूलों की ढेरी में छुपी भयानक फरसेनुमा तलवार पर पड़ी जिसे देख कर वो यूँ चौंका मानो सांप देख लिया हो उसने तुरन्त झरझरा की ओर देखा तो वह बोली पूजन के उपरान्त इसी खड्ग से अघोर का नाश होगा मित्रों। पूजन द्वारा इसी खड्ग को वज्र शक्ति मिलेगी। चारों सहम गए पर असहमति कैसे जताते? चुपचाप पूजन में लगे रहे।
फिर झरझरा ने काफी विधि विधान से सारा पूजन किया इन चारों को ताजे फूलों की माला पहनाई और खुद भी पहनी। सुस्वादु मिठाई इन्हें चखने को दी। ऐसा दिव्य पकवान इन्होंने कभी नहीं खाया था। इनका चित्त प्रसन्न हो गया। फिर झरझरा देवी के सम्मुख साष्टांग प्रणाम की मुद्रा में लेट गई और हाथ आगे फैलाकर नमस्कार की मुद्रा में पड़ी हुई देर तक प्रार्थना करती रही। फिर उसने इन चारों से कहा, " मित्रों! अब हम अपनी पूजा के अंतिम पड़ाव पर आ पहुंचे हैं। तुम चारों भी मेरी तरह ही साष्टांग प्रणाम करके देवी से प्रार्थना करो और नयन मत खोलना अन्यथा अनर्थ हो जाएगा। मैं उस दौरान विशेष पूजन करूँगी।  
कहानी आगे जारी है...
क्या था विशेष पूजन?
क्या किया झरझरा ने?
 जानने के लिए पढ़िए भाग 11


Post a Comment

0 Comments