महाराणा प्रताप का इतिहास
क्या आपने वीर महाराणा प्रताप की कहानी सुनी हैं?क्या आप जानते हैं राजा महाराणा प्रताप नें कई बार मुगल सम्राट अकबर को हराया था?
महाराणा प्रताप का पूरा नाम राजा महाराणा प्रताप सिंह था। उनका जन्म स्थान
कुम्भलगढ़ दुर्ग में 9 मई 1540 को पिता राणा उदय सिंह और माता महाराणी
जयवंता कँवर के घर में हुआ। उन्होंने अपने जीवन काल में कुल 11 शादियाँ की
थी।
महाराणा प्रताप के सभी 11 पत्नियों के नाम
महारानी अज्बदे पुनवर, अमर्बाई राठौर, रत्नावातिबाई परमार, जसोबाई चौहान,
फूल बाई राठौर, शाहमतिबाई हाडा, चम्पाबाई झाती, खीचर आशा बाई, अलाम्देबाई
चौहान, लखाबाई, सोलान्खिनिपुर बाई।
महाराणा प्रताप के सभी 17 पुत्र के नाम
अमर सिंह, भगवन दास, शेख सिंह, कुंवर दुर्जन सिंह, कुंवर राम सिंह, कुंवर
रैभाना सिंह, चंदा सिंह, कुंवर हाथी सिंह, कुंवर नाथा सिंह, कुंवर कचरा
सिंह, कुंवर कल्यान दास, सहस मॉल, कुंवर जसवंत सिंह, कुंवर पूरन मॉल, कुंवर
गोपाल, कुंवर सनवाल दास सिंह, कुंवर माल सिंह।
महाराणा प्रताप की कहानी
महाराणा प्रताप उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। उनकी वीरता
और दृढ़ संकल्प के कारण उनका नाम इतिहास के पन्नों में अमर है। उन्होंने कई
वर्षों तक मुग़ल सम्राट अकबर के साथ संगर्ष किया और उन्हें कई बार युद्ध मैं
भी हराया। वे बचपन से ही शूरवीर, निडर, स्वाभिमानी और स्वतंत्रता प्रिय
थे।
स्वतंत्रता प्रेमी होने के कारण उन्होंने अकबर के अधीनता को पूरी तरीके से
अस्वीकार कर दिया। यह देखते हुए अकबर नें कुल 4 बार अपने शांति दूतों को
महाराणा प्रताप के पास भेजा। राजा अकबर के शांति दूतों के नाम थे जलाल खान
कोरची, मानसिंह, भगवान दास और टोडरमल।
मवाड में हुआ हल्दीघटी का युद्ध
हल्दीघाटी का युद्ध भारत के इतिहास की एक मुख्य कड़ी है। यह युद्ध 18 जून
1576 को लगभग 4 घंटों के लिए हुआ जिसमे मेवाड और मुगलों में घमासान युद्ध
हुआ था। महाराणा प्रताप की सेना का नेतृत्व एक मात्र मुस्लिम सरदार हाकिम
खान सूरी ने किया और मुग़ल सेना का नेतृत्व मानसिंह तथा आसफ खाँ ने किया था।
इस युद्ध में कुल 20000 महारण प्रताप के राजपूतों का सामना अकबर की कुल
80000 मुग़ल सेना के साथ हुआ था जो की एक अद्वितीय बात है।
कई मुश्किलों/संकटों का सामना करने के बाद भी महारण प्रताप ने हार नहीं
माना और अपने पराक्रम को दर्शाया इसी कारण उनका पराक्रम और नाम इतहास के
पन्नो पर चमक रहा है।
कुछ इतिहासकार कुछ ऐसा मानते हैं कि हल्दीघाटी के युद्ध में कोई विजय नहीं
हुआ परन्तु अगर देखें तो महाराणा प्रताप की ही विजय हुए थे। अपनी छोटी सेना
को छोटा ना समझ कर अपने परिश्रम और दृढ़ संकल्प से महाराणा प्रताप की सेना
नें अकबर की विशाल सेना के छक्के छुटा दिए और उनको पीछे हटने के लिए मजबूर
कर दिया।महाराणा प्रताप के प्रिय बहादुर घोड़े चेतक की मृत्यु भी इस युद्ध के दौरान हुई।
महाराणा प्रताप और चेतक के विषय में कुछ बातें
चेतक महाराणा प्रताप का सबसे प्यारा और प्रसिद्ध घोडा था। उसने हल्धि घटी
के युद्ध के दौरान अपने प्राणों को खो कर बुद्धिमानी, निडरता, स्वामिभक्ति
और वीरता का परिचय दिया। चेतक की वह बात भी बहुत यादगार है जिसमे उसने
मुगलों को पीछे आते देख महाराणा प्रताप की रक्षा करने के लिए बरसाती नाले
को लांघते समय वीरगति की प्राप्ति हुई।
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