"120 सैकंड "
मै और मेरा दोस्त एक बार Drive पे निकले
और वो अचानक एक Signal पे रुका
Signal 120 सेकंड का था |
अब समय के आस -पास मेरा ब्रेकअप हुआ था तो
मै एक दिल टूटा आशिक़ था
और दिल टूटे आशिक़ों की एक खाशियत होती है
वो वक़्त ढूंढते हैं
यादों पर खर्च करने के लिए
वो 120 सेकंड मेरा वही वक़्त था
जो मैंने इस कदर खर्च किया है की
पहले 5 सेकंड ऐसे बीते की
मन कह रहा था
उसके बारे में मत सोचना,
क्योंकि
तू इतनी मुश्किल से तो तू उसे भूलाने की कोशिश कर रहा है |
फिर अगले 10 सेकंड मन ने ही कह दिया की
एक काम कर सोच ले,,,,,
,
,
,
,
वो क्या था न की
अंजाम है दुःख रही है, वरना यादें तो प्यारी हैं |
तो अगले 60 सेकंड
बिलकुल पूरे Relationship का एक Rewind था
की कैसे हमारी मुलाकात हुयी, बांते सुरु हुयी
मैंने चिट्टी लिखकर अपने प्यार का इज़हार किया
तो,
उसने इंकार कर दिया था,
मै जब दुखी होकर चल के जा रहा था तो,
उसने हाथ थाम कर मुझे कहा की
सुनो मजाक कर रही थी
मुझे भी इकरार है,,
हम बिलकुल एक romantic picture में एक romantic गाने में दीखते,
एक romantic couple से थे
दुनिया से बहोत दूर ..
एक दूसरे के साथ उलझे हुए एक दूसरे की खोज पे
बस फर्क इतना था की acting नहीं करते थे |
वो चाँद तारों की तरफ देख कर कहा करती थी
कितने खूबसूरत है न ये
मै उसकी तरफ मुड कर कहता था की
"हाँ"
बहोत ,,,,
हम कभी डेट पे जाया करते थे तो
वो बात करती थी इंडेपेंडेन्सी की
पर जैसे बिल आता मेरी तरफ सरकाते हुए कहती सुनो न
पम्पेर मी""
उसके तारीफों में मैंने कुछ ऐसा लिखा था की
उसकी मुस्कान मेरी कहानियों की स्याही थी
उसकी आँखों में मैंने वक़्त के काँटों को भी थमता हुआ देखा है
वैसे सुना था की गंगा की पाखीभिः छटाओं से बह के आती है
जब वो अपनी भीगी से जुल्फों को झटकती थी तो
उस बात पर भी यकीन हो जाता था
जैसे मिधाश ने पीतल को छूकर सोना किया था
वैसे ही ......
उसने मुझे छूकर मेरी रूह को नूर से भर दिया था
फिर रहते 30 सेकंड
30 सेकंड झगड़ों के
अब माना की,
झगडे प्यार के मुकाबले काम ही थे पर रिश्तों के अंजाम उन्होंने तय किया
झगडे जो ऐसे बे-फिजूल से थे
जो सुलझाए जा सकते थे पर सुलझाए नहीं गए,,
कभी उसकी आँखों में आँशु होते तो कभी मेरी आँखों में नमी
और हम हर रोज ये सोचते की एक झगड़ा सुलझाना है
और हम रात तक किसी और उलझ जाते |
फिर रहे 10 सेकंड ,,,,,
10 सेकंड हम एक कमरे में थे
जो बंद था की मानो उसकी खिड़की दरवाजे पे आज कह रही हो की,
आज ये रिस्ता दम घोटने वाला है,
तो फिर उसने कहा की
चलो न ख़तम करते हैं
चलो न ख़तम करते हैं
आखिरी के 5 सेकंड
मानो पूरा कमरा मुझसे पूछ रहा हो
तू तो कुछ बोल
इस कमरे की चुप्पी तो तोड़
पर दिमाग में एक आवाज सी चल रही थी
चलो न ख़तम करते हैं
चलो न ख़तम करते हैं
और वो वक़्त बीत गया |
अजीब होता है जुदाई का गम
उसे खोने के बाद भी उसे खोने का डर नहीं भूलता हूँ
वो Signal जैसे ही Green हुआ
मेरा दोस्त बस गाडी भगाने वाला ही था की
मैंने उसे कहा की
रुक जा,,,
120 सेकंड की जरूरत है मुझे
जवाब देना बाकी रह गया था
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