अघोरियों की विचित्र साधना
अब आपको हम बताते हैं अघोरियों की साधना के बारे में जहां अघोरियों द्वारा मृत्यु का कारण तथा आत्मा के आने-जाने का स्थान ढूंढने के लिए तीन तरह से विचित्र साधना की जाती है। तीनों साधना अपनी-अपनी जगह काफी महत्वपूर्ण हैं। जहां श्मशान साधना के बारे में तो अधिकांशतः सभी लोग जानते हैं। लेकिन शव साधना और शिव साधना के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं। हलांकि सभी साधनाओं के लिए अघोरियों के पास इंसान का मस्तिक होना बहुत जरुरी होता है।
क्योंकि मस्तिष्क की खोपड़ी के बिना कोई भी साधना नहीं हो सकती है। अघोरियों द्वारा किसी भी साधना से पहले पंचकरा साधना किया जाता है। इस साधना से मानसिक स्थिति को कंट्रोल में करते हुए दुनिया से संपर्क खत्म हो जाता है। यह साधना को किसी असाधारण अघोरियों द्वारा नहीं किया जाता है। क्योंकि इसमें किसी सिद्ध अघोरी को अपना गुरु मानकर उनके मार्ग दर्शन के अनुसार कुछ खास मंत्रों का उच्चारण कर हवन कुंड में मांस और शराब सहित कई सामग्रियों की आहुति दी जाती है।
तो शिव लता मुद्रा में आने से पहले अघोरियों को किसी महिला के साथ संभोग करते हुए भगवान शिव तथा पार्वती का आराधना करना पड़ता है। क्योंकि यह मुद्रा संभोग के दौरान ही करने से भगवान शिव पार्वती खुश होती है। तो वहीं कई ऐसी भी अघोरी हैं जो नदी में तैर रहे शव को बड़े चाव से खाते हैं। तो कई सिर्फ खोपड़ियों का मांस। तो कई ऐसे भी है जो खाने पीने के लिए खोपड़ियों का इस्तेमाल करते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण होता है शव साधना जिसमें बोल उठता है मुर्दा
यूं तो अघोरियों के द्वारा किए जाने वाली सभी साधनाएं अपने आप में महत्वपूर्ण होती हैं। लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण है शव साधना जिस में मुर्दा से बात किया जाता है। आपको बताते चलें कि शव साधना जो अघोरियों के द्वारा श्मशान मे की जाती है। इस साधना के लिए अघोरियों के द्वारा महिलाओं का शव खोजा जाता है।
जिसके बाद महिलाओं के सब पर बैठकर तंत्र मंत्र और पूजा के जरिए अपने आराध्य देव को खुश करने की कोशिश की जाती है। वहीं इस साधना में शव पर प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा चढ़ाते हुए अघोरियों द्वारा शवपीठ की पूजा की जाती है। तो इस साधना मे किसी तरह की रुकावट ना आए जिसके लिए अघोरियों के पास एक खास मंत्र होता है। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए शव के चारों ओर एक रेखा खींच देते है।
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